Saturday, 3 July 2010

शायरी

सुकून नहीं मिलता एक गर्दिश-ऐ-जहाँ में,
तन्हाईयोमे भी यादो की भीड़ लगी रहेती है,
जर,जोरू,जमीन की जद्दोजहेत में मशरूफ है आदमी,
इंसान बनने के लिए वक़्त की कमी रहेती है,

1 comment:

सूर्यकान्त गुप्ता said...

सही फ़रमाया आपने।