Saturday, 15 October 2011

कहेते कहेते!

कहेते कहेते लाबोने कुछ ना कहा, 
दिल के जस्बात दिल में ही रहे से गए,

सि नहीं सकते किसी धागे से,
वक़्त के साथ जख्म भी बढ़ते गए,

मंजिल को जो कभी जाती ही नहीं,
हम उसी राह पर ही चलते गए,

चाह कर भी जिन्हें भूला ना सके,
कुछ लम्हे यादोमे ही बसते गए,

जलाना तो शमा की फितरत है,
नादान परवाने फिर भी जलाते गए,

फूल प्यार का तो खिला भी नहीं,
शूल रंजिशो के ही चुभते गए,

Wednesday, 7 September 2011

એવો શું જાદુ કર્યો એમને!

એવો શું જાદુ કર્યો એમને કે ધરતી પર સ્વર્ગ ઉતરી આવ્યું,
ખોવાઈ ગયુ હતુ ઘણા સમય થી એ સ્મિત પાછું આવ્યું,

પહેલા થતી હતી મજાક-મસ્તી તો કોઈ નવાઈ ની વાત નહોતી,
પણ આજે કરી છેડછાડ એમને તો કંઈક અવનવું લાગ્યું,

ઘણા દિવસો થી અબોલા લીધા હતા એમણે અમારી સાથે,
બે બોલ મીઠા બોલ્યા તો જાણે કોઈ ગીત ગાઈ નાખ્યું,

નાં રિસાય ફરી કદી હવે એ બસ એકજ અરમાન છે "શરદ"
 હવે નહિ સહેવાય વેદના, વિરહ માં ઘણું સહી નાખ્યું,
  
 એકલતા ની રાતો માં એક ઉષાકિરણ ની જ આસ હતી,
 ગાઢ નીંદર માં પોઢેલું નસીબ લાગે છે હવે જાગ્યું,

.............................................................એવો શું જાદુ કર્યો 




Friday, 5 August 2011

अच्छी लगती है!

बाते कई है कहेने को फिर भी ख़ामोशी अच्छी लगती  है!
मरासिम तो बढ़ते जाते है फिर भी तन्हाई अच्छी लगती है!

बहोत मिली है खुशियाँ लेकिन आँखों में नमी अच्छी लगती है!
सुकून से दुश्मनी नहीं हमें, बेचैनियों से यारी अच्छी लगती है!

सबसे मिला है प्यार बेशुमार, बेरुखी यार की अच्छी लगती है!
ज़िंदगी तो खुबसूरत है "शरद" पर मौत से मोहब्बत अच्छी लगती है!


Saturday, 26 March 2011

कुछ ज्यादा चाहता हूँ!

अपनी हेसियत से कुछ ज्यादा चाहता हूँ!
खता है मेरी मै तुझे चाहता हूँ!

सहेरा की रेत में है मेरा ठिकाना,
 बाग़ - बहार - घटा चाहता हूँ!

नहीं ओरों सी मेरी किस्मत तो क्या है,
आजमाना एक दाव चाहता  हूँ!

मुमकिन नहीं तुझसे मिलना लेकिन,
तेरे दिल में थोड़ी सी जगह चाहता हूँ!

जमाने में मज़ाक बना कर भी अपना,
बस तेरे लबो पर हँसी चाहता हूँ!

Saturday, 19 March 2011

प्यार भरी होली!

आम के पेड़ पर कोयल एक बोली,

बहारों  ने अब जाके आखे है खोली,

खुशियों के रंग से भर देगी झोली,

मुबारक हो सबको प्यार भरी होली!