Sunday, 28 November 2010

वह आते है मेरे पास!

वह आते है मेरे पास कभी कभी किसी बहाने से,
फिर भी लगता है जैसे मिले नहीं ज़माने से,

उनके पहेलु में गुजरे पल जिंदगी की नैमत है,
भूल न पायेंगे कभी यूँही भुलाने से,

रहेगुज़र-ए-शरद  उनकी गली  से हो कर गुजरती है,
वर्ना हम भी पाए जाते किसी मयखाने में,

उनके ख्वाबों की दुनिया में बीत जाती है रात मेरी,
नींद खुलती है खयालो में उनके आने से......
o वह आते है मेरे पास o

Thursday, 25 November 2010

एक झलक

क्यों उदास है तु?....... क्यों उदास है तु?

किसी ख्वाब को टूटते तुने देखा है कँही,
उसके टूटने की खनक सुन रही है तु,

तेरी जुल्फों की लहेराती हुई लटे,
बिखर रही है तेरे चहेरे के चारसू,

सुनी सड़क पर चल रही बेखबर,
गुम हो गयी है कँही तेरी आरजू,

मै तेरी एक झलक देखता ही रहा,
घुल रही हो हवाओ में जैसे खुश्बू,