Saturday, March 26, 2011

कुछ ज्यादा चाहता हूँ!

अपनी हेसियत से कुछ ज्यादा चाहता हूँ!
खता है मेरी मै तुझे चाहता हूँ!

सहेरा की रेत में है मेरा ठिकाना,
 बाग़ - बहार - घटा चाहता हूँ!

नहीं ओरों सी मेरी किस्मत तो क्या है,
आजमाना एक दाव चाहता  हूँ!

मुमकिन नहीं तुझसे मिलना लेकिन,
तेरे दिल में थोड़ी सी जगह चाहता हूँ!

जमाने में मज़ाक बना कर भी अपना,
बस तेरे लबो पर हँसी चाहता हूँ!

Saturday, March 19, 2011

प्यार भरी होली!

आम के पेड़ पर कोयल एक बोली,

बहारों  ने अब जाके आखे है खोली,

खुशियों के रंग से भर देगी झोली,

मुबारक हो सबको प्यार भरी होली!