Sunday, June 27, 2010

ग़ज़ल - अहेसास-इ-हिज्र


कोई सदा (आवाज़) मेरे कानो में गूंज रही है,
शायद कोई मुझे पुकारता होगा,
जिस तरह में बेकरार हु तन्हाई में,
कोई मेरी जुदाई में भी तड़पता होगा...............० कोई सदा ०

सोंधी सोंधी खुशबु आ रही है,
किसी आखो से सावन बरसता होगा,
कही क़यामत ही न हो जाए,
ये सोच का र किसी दिल दहेलता होगा............० कोई सदा ०

कातिल लगता है ये खुशनुमा मौसम,
कोई पल पल कहीं मरता होगा,
में जी रहा हूँ ये सोच कर,
मेरी यादो के सहारे कोई जीता होगा..............० कोई सदा ०

कमबख्त बादल गरजता है यूँ,
किसी का दिल जोरो से धड़कता होगा,
बिजलिया गमो की गिरा कर,
आसमान भी अपने किये पर रोता होगा.........० कोई सदा ०



7 comments:

Udan Tashtari said...

बढ़िया है.

rishabh daga said...

welcome and congratulations.you have a creative mind,keep it up.

36solutions said...

बढि़या गजल. आपकी सदा दूर तलक जाए, शुभकामनांए.

हैप्‍पी ब्‍लॉगिंग ........

रौशन जसवाल विक्षिप्त said...

ब्लोगिग के विशाल परिवार में आपका स्वागत है! अच्छा पढ़े और अच्छा लिखें! मित्रों के ब्लोग पर जाए और अपने विचार ज़रुर व्यक्त करें! हो सके तो अनुसरण भी करें! हैप्पी ब्लोगिग!

संगीता पुरी said...

ब्‍लॉग जगत में आपका स्‍वागत है .. नियमित लेखन के लिए आपको बधाई !!

सूर्यकान्त गुप्ता said...

ब्लॉग जगत मे आपका स्वागत! गज़ल के शौकीन मालूम पड़ते हैं। वैसे उर्दू लफ्ज़ हैं ही मीठे।

Rohit joshi said...

ब्‍लॉग्‍स की दुनिया में मैं आपका खैरकदम करता हूं, जो पहले आ गए उनको भी सलाम और जो मेरी तरह देर कर गए उनका भी देर से लेकिन दुरूस्‍त स्‍वागत। मैंने बनाया है रफटफ स्‍टॉक, जहां कुछ काम का है कुछ नाम का पर सब मुफत का और सब लुत्‍फ का, यहां आपको तकनीक की तमाशा भी मिलेगा और अदब की गहराई भी। आइए, देखिए और यह छोटी सी कोशिश अच्‍छी लगे तो आते भी रहिएगा

http://ruftufstock.blogspot.com/